हाल ही में नेल्लूर (आंध्र प्रदेश) के
पास 800
साल पुराना शिव मंदिर खोजा
गया है। यह मंदिर पांड्या
वंश और राजा
मारवर्मन सुंदर पांड्य
के गौरवशाली अतीत को जीवंत करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह शिव मंदिर लगभग 1217-1218 ईस्वी के
दौरान बनाया गया था। यह काल
राजा मारवर्मन सुंदर पांड्य के शासन का समय था।
हालांकि मंदिर की केवल नींव और पत्थर की संरचना ही बची है, लेकिन शिलालेखों और शिल्पकला से पता चलता है कि यह मंदिर भगवान
शिव को समर्पित था।
💠
मंदिर की खास बातें:
- मंदिर का नाम:
थेना वरेश्वरम्
- स्थान:
अतूर गांव, नेल्लूर के पास
- मुख्य शिलालेख: मंदिर की आर्थिक स्वतंत्रता और दैनिक
खर्चों की व्यवस्था पर रोशनी डालता है
- जल निकाय की बिक्री का विवरण भी शिलालेख में दर्ज है, जिसमें 764 कासू (सिक्के) का
ज़िक्र है।
👑
पांड्या वंश: भारत का गौरव
पांड्या वंश ने मदुरै से शासन किया और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में
अहम भूमिका निभाई।
इनकी राजधानी पहले
कोरकई
थी, जो
बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित थी।
पांड्या वंश की
प्रमुख बातें:
- प्रतीक चिन्ह:
मछली (Fish)
- संगम साहित्य का संरक्षण किया
- समृद्ध व्यापार और मोतियों के लिए प्रसिद्ध
- संगठित सेना और प्रशासनिक व्यवस्था
🛡️
राजा मारवर्मन सुंदर पांड्य: पुनरुद्धार
के प्रतीक
मारवर्मन सुंदर पांड्य ने 1216
से 1238 ईस्वी तक
शासन किया। उन्होंने चोल
साम्राज्य को हराकर पांड्य
शक्ति को पुनर्स्थापित किया।
उनके नेतृत्व में पांड्य साम्राज्य ने दोबारा अपनी शक्ति पाई
और दक्षिण भारत में अपना प्रभुत्व बढ़ाया।
उनके प्रमुख कार्य:
- चोल साम्राज्य पर आक्रमण और तंजावुर पर विजय
- आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण
- मंदिर निर्माण और स्थापत्य कला का विकास
800 साल
पुराने शिव मंदिर की खोज न सिर्फ एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक
विरासत की झलक भी दिखाती है।
पांड्या वंश और उनके योगदान को जानना हमारे इतिहास को समझने के
लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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